दलित, पिछड़े और आदिवासियों की एक स्वतंत्र धार्मिक परंपरा रही है, जिसे 'आजीवक' के नाम से जाना जाता है। इसके संस्थापक महान मक्खली गोसाल थे। सृष्टि को देखने का उनका एक नजरिया था। जिसे वह 'नियति' कहते थे। इसी से सृष्टि के उद्गम के 'कार्य कारण' सिद्धांत का प्रतिपादन हुआ। यह दर्शन स्वर्ग-नरक, आत्मा, पुनर्जन्म, पूर्वजन्म, सन्यास में विश्वास नहीं करता। यह भारत के गृहस्थ और श्रमजीवी वर्ग का व्यवहारिक और वैज्ञानिक दर्शन है। इसके गुरु और सद्गुरु रैदास, कबीर, स्वामी अछूता नंद 'हरिहर' और डा. धर्मवीर हैं।
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