मनुष्य और प्रकृति के तादात्म्य से ही सृष्टि का सौंदर्य का निर्माण होता है। कुछ लोग मनुष्यता और प्रकृति के दुश्मन होते हैं। वे प्रेम और संवेदना से भी उदासीन होते हैं। इन में ही प्रेम, सदाचार और ईमानदारी के भाव भरने के लिए सद्गुरु रैदास और कबीर मानव बंधन से मुक्ति के गीत गाए थे। उसी चेतना का प्रसार ही एकमात्र लक्ष्य है।
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