भारतीय समाज जातिवादी होने के साथ-साथ पक्षपाती भी है। यह व्यक्ति से होते हुए समाज में तिरोहित होता है। इसलिए प्रत्येक समाज का उचित प्रतिनिधित्व हर संस्थान में होना चाहिए, लोकतंत्र की खूबसूरती भी यही है। प्राय: सुनने में आता है कि एक ही वर्ग के लोग किसी संस्था में होने से कमजोर वर्ग के प्रतिनिधि के साथ भेदभाव करते हैं, बात-बात में हूटिंग और मजाक बनाते हैं।
कल की बात है कि, मुझे अपने एक रिश्तेदार की इमर्जेंसी सर्जरी के लिए मेडिकल कालेज में जाना हुआ। कई स्तर के जांच प्रक्रिया से गुजरना, भाग-दौड़ खूब करनी पड़ी। सेंट्रल पैथोलॉजी में मुझे जांच रिपोर्ट के लिए जाना पड़ा, मैंने वहां देखा कि एक जवान महिला पचास-पचपन वर्ष के मुस्लिम कर्मचारी से बकझख कर रही है और अन्य लोग हंस रहे हैं। मैंने उस महिला से रिपोर्ट मांगी तो वह बेहयाई के साथ उसी व्यक्ति के पास भेज दी कि उसी से मांगों ताकि वह परेशान हो या मुझ से उलझे। लेकिन वह व्यक्ति उसको जवाब देते हुए बड़ी ही सहजता से अपना काम भी करता रहा।
कुछ शब्द और वकाया जो मुझे उस दरम्यान सुनाई दिये। उस मुस्लिम व्यक्ति की शिकायत थी कि तुम मेरे मरे वालिद पर कैसे गई? क्या तुम उनकी कब्र का मजाक बनाओगी? हम तुम्हारी शिकायत करेंगे। फिर वह मजाक के लहजे में अपने अन्य साथी से पूछती है कि, इनके धर्म में माफी कैसे मांगी जाती है, यार बताओ? अगले ने 'गुस्ताखी माफ' शब्द बताया। फिर, बहशी हंसी के साथ उसने कहा कि - गुस्ताखी माफ, खान साहब! लेकिन उस व्यक्ति के झुंझलाहट ने ऐसा महसूस कराया कि उसको अंदर तक झेड़ा गया है।
'गुस्ताखी माफ' फारसी शब्द है।
गुस्ताखी का मतलब होता है -
धृष्टता, ढीठपन, दुःसाहस, बेबाकी, अशिष्टता, बदतमीज़ी, बेअदबी, अवमानना, क्रूरता, अहंकार।
इसका मतलब कि उस महिला और उसके साथियों द्वारा उस एक मुस्लिम व्यक्ति के साथ हर रोज इसी तरह से 'गुस्ताखी' की जाती होगी? यह मजाक धर्म के आधार पर उस व्यक्ति से की जाती होगी।
डा. धर्मवीर, अपनी पुस्तक 'आत्मालोचन प्रक्रिया' की भूमिका में लिखे हैं कि, दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कालेज में नाऊ जाति के प्रोफेसर के साथ एक जाति वर्ग के छात्र हाथ की मुद्राओं से कैंची बना कर उनका मजाक फोड़ा करते थे। उनका मानना था कि अभी इस देश की संस्थाओं का परिवेश लोकतांत्रिक और समाजवादी नहीं बन पाया है। दलित और आदिवासियों के लिए यहाँ दमघोंटू जैसा माहौल है। इसी समस्या की पूर्ति के लिए प्रतिनिधित्व जिसे आज आरक्षण कहा जाता कि, व्यवस्था की गई है।
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