इमैनशिप्सन फिल्म की समीक्षा : इतिहास की एक सच्ची कहानी जो आजादी के लिए लड़ी गई

संतोष कुमार //दास व्यवस्था मानवता पर कलंक है, जैसे भारत में अस्पृश्यता है। इस व्यवस्था ने अमानवीयता की सारी हदें पार की है। लेकिन इंसानी हकूक महरूम अमेरिकी अश्वेत दासों ने अपनी आजादी के लिए गृह युद्ध (civil war) किया। लेकिन भारत में यह प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से आई। इसलिए यहां डाइवर्सिटी का अभाव है। अमेरिकी दास "पीटर" के जीवन पर आधारित फिल्म 'एमैंसिपेशन', 'विल स्मिथ' अभिनीत और 'एंटोनी फूकुआ' द्वारा निर्देशित, एक शक्तिशाली और भावुक फिल्म है। जो अमेरिकी गुलामी के इतिहास को उजागर करती है। फिल्म की कहानी 'पीटर' नाम के एक अश्वेत गुलाम के जीवन पर आधारित है, जो अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करता है और अपने परिवार को सुरक्षित करने के लिए हर संभव प्रयास करता है। इस प्रयास में वह लिंकन के नेतृत्व में लड़ी जा रही गृह युद्ध में सैनिक के रूप शामिल हो जाता है। जहाँ से उसे मुक्ति की राह मिलती है। 

पीटर की वास्तविक तस्वीर और विल स्मिथ किरदार में 

गुलामी से मुक्ति की कथा-


फिल्म की शुरुआत में, पीटर को उसके मालिक द्वारा बेच दिया जाता है, जो उसे एक क्रूर और निर्दयी व्यक्ति के हाथों में छोड़ देता है। पीटर अपने परिवार से अलग हो जाता है। यह दृश्य बहुत ही कारुणिक होता है! क्योंकि उसकी पत्नी और बच्चे रोते-बिलखते हैं। इसका कारण यह है कि जिस मालिक के साथ वह जा रहा होता है, वहां से कोई गुलाम जिंदा वापस नहीं लौटता है। विल स्मिथ जो पीटर की भूमिका में है। रेल पटरी बनाने के काम में लगाया जाता है। जहाँ काले दासों के साथ बर्बरता बरती जाती है, कोड़े मारे जाते हैं, जिससे उनके बदन की चमड़ी उखड़ जाती है। मालिक और उसके कारिंदे उन दासों के साथ जानवरों जैसा बर्ताव करते हैं। और जोर-शोर से कहते हैं कि मालिक का आदेश ईश्वर का आदेश होता है और गुलामी के तामिल करने से तुम्हें मोक्ष(Salvation) मिलेगा। कमजोरी और बिमारी की हालत में भी, उन्हें काम करना होता है। पीटर अपने कमजोर साथियों की मदद करता है। जिससे उनमे आपसी भाईचारा कायम होता है। कहीं से पीटर को पता चलता है कि उत्तरी अमेरिका में अब्राहम लिंकन के नेतृत्व में दक्षिणी अमेरिका से युद्ध चल रहा है। जिसमें दासों की आजादी भी शामिल है। वह अपने साथियों को उस वस्तु स्थिति के बारे में बताता है। पहले तो वे डरते हैं फिर बगावत के लिए राजी हो जाते हैं। इस बगावत कई गोरे और अधिक काले गुलाम मार जाते हैं। पीटर अपने चार साथियों के साथ भागने की कोशिश करता है। जिनके पीछे शिकारी कुत्ते और घोड़े पर सवार सैनिक उनका पीछा करते हैं। जिसमें उसके दो साथी मारे जाते हैं। 

पीटर को अपनी स्वतंत्रता की लड़ाई में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन वह हार नहीं मानता और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर संभव प्रयास करता है। जब वह युद्ध क्षेत्र में पहुंचने वाला होता है तभी उसका मालिक उसे पकड़ लेता है। जब वह गोली मारने वाला होता है तभी अश्वेत सैनिकों की टुकड़ी उसको बचा लेती है और उस श्वेत मालिक को गोली मार देती है। सैनिक उससे पूछताछ करते हैं और उसका इलाज कराते हैं। ठीक होने पर उसे सैनिक ज्वाइन करने विकल्प देते हैं और वह सैनिक बनना सुनिश्चित करतार है। उसका अश्वेत सार्जेंट उसको हौसला देता है और श्वेत आर्मी अफसर उसके दर्द, पीड़ा और उत्पीड़न की सहानुभूति तथा प्राश्चित के लिए परेड करते हैं। यह भाव स्वतंत्रता और समानता का बिम्ब रचता है, जहाँ से भविष्य के अमेरिका का निर्माण होता है। फिल्म में विल स्मिथ का अभिनय अद्भुत है, जो पीटर के चरित्र को जीवन में लाता है। उनके अभिनय में गहराई और भावना है, जो दर्शकों को आकर्षित करती है। फिल्म के अन्य कलाकार भी अपने अभिनय से प्रभावित करते हैं।
जब पीटर अपने रेजिमेंट के साथ मोर्चाबंदी पर जा रहा होता है, जिसमें केवल अश्वेत सैनिक ही होते हैं। तो उसका सार्जेंट अपने साथियों से कहता है - 'वे यानी गोरे सैनिक, पूँजी और सत्ता के लिए लड़ रहे हैं, लेकिन हम लोग आजादी के लिए लड़ रहे हैं, आने वाले कल के लिए लड़ रहे हैं, ताकि हमारे बच्चे गुलाम न हों।'
अश्वेत सैनिकों के साथ पीटर(विल स्मिथ) 

वे लोग अपने आप को साबित करते हैं, जिसपर युद्ध मोर्चे पर गोरे सैनिक युद्ध करने से कतराते हैं, वहां काले सैनिक दक्षिणी अमेरिकी सैनिकों को उखाड़ फेकते हैं। और गुलामों को आजाद कराते हैं। पीटर अपने परिवार को भी पा जाता है। भारत में दलित सदियों से संघर्ष कर रहा है लेकिन उसकी स्थिति में कोई गुणात्मक बदलाव नहीं आया है। क्योंकि लोकतांत्रिक प्रक्रिया के जरिए उसकी सुधार की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी। जिस पर डा. अम्बेडकर अपने समय ही संदेह हो चुका था और भारतीय संविधान जिसके निर्माण के वे कर्णधार थे, डाइनामाइट से उड़ाने की बात कर रहे थे! यह सहज नहीं था क्योंकि उन्हें अंदेशा था कि आने वाले समय में हमारे लोग शासन सत्ता के गुलाम बन कर रह जाएंगे और बर्चस्वादी लोग उनका इस्तेमाल करेंगे। और हुआ भी वही, क्योंकि यहाँ कोई गृह युद्ध नहीं हुआ था, क्रांति तो दूर की बात है। ब्रिटिश कालीन आजादी की लड़ाई में कमोबेश दलितों की भी वही स्थिति थी जो अमेरिकी काले दासों की थी। एक ओर जहाँ सवर्ण अंग्रेजों से सत्ता और पूंजी हासिल करने के लिए लड़ रहे थे, वहीं दलित अपनी आजादी को सुनिश्चत करने के लिए संघर्षरत थे। परिवेश जटिल था, राहें कठिन थीं लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। यही जिजीविषा पीटर को उसकी आजादी की प्रेरक शक्ति बनी। 

फिल्म का निर्देशन भी उत्कृष्ट है, जो दर्शकों को अमेरिकी गुलामी के इतिहास की वास्तविकता को दिखाता है। फिल्म के दृश्य और संगीत भी अद्भुत हैं, जो फिल्म की भावना के सूक्ष्म बिम्ब को उद्घाटित करते हैं।
एमैंसिपेशन एक महत्वपूर्ण फिल्म है, जो अमेरिकी गुलामी के इतिहास को उजागर करती है और स्वतंत्रता की लड़ाई को दर्शाती है।
बगावत की तैयारी में पीटर... 


क्यों देखें? : एमैंसिपेशन फिल्म उन लोगों के लिए आवश्यक है, जो इतिहास को समझना चाहते हैं और स्वतंत्रता की महत्ता को महसूस करना चाहते हैं। यह फिल्म उन लोगों के लिए भी उपयुक्त है, जो शक्तिशाली और भावुक फिल्में देखना चाहते हैं।


एमैंसिपेशन फिल्म का ऐतिहासिक पक्ष


फिल्म एमैंसिपेशन पीटर के जीवन पर आधारित है, जो एक वास्तविक जीवन में गुलाम थे। पीटर का जन्म 1815 में लुइसियाना में हुआ था और वह एक गुलाम के रूप में बड़ा हुआ था। वह अपने मालिक, जॉन टिबॉड्स के खेत में काम करता था।
1853 में, पीटर ने अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ने का फैसला किया और वह अपने परिवार के साथ कनाडा में सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए भाग गया। लेकिन रास्ते में, उन्हें पकड़ लिया गया और वापस लुइसियाना में लाया गया।
इसके बाद, पीटर ने अपनी कहानी को एक फोटोग्राफर, जॉन थॉम्पसन को सुनाई, जिसने उसकी कहानी को प्रकाशित किया। पीटर की कहानी ने अमेरिकी गुलामी के खिलाफ एक मजबूत आवाज उठाई।



सिविल वार-

फिल्म एमैंसिपेशन में सिविल वार का महत्वपूर्ण प्रदर्शन है। सिविल वार 1861 से 1865 तक अमेरिका में हुआ था, जिसमें उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच लड़ाई हुई थी।

उत्तरी राज्यों ने गुलामी को समाप्त करने के लिए लड़ाई लड़ी, जबकि दक्षिणी राज्यों ने गुलामी को बनाए रखने के लिए लड़ाई लड़ी। सिविल वार में लगभग 6 लाख लोग मारे गए थे।

फिल्म में सिविल वार के कुछ दृश्य दिखाए गए हैं, जिसमें पीटर और अन्य गुलामों को स्वतंत्रता की लड़ाई के रूप में दिखाया गया है।


अमेरिकी गुलामी का इतिहास-

फिल्म एमैंसिपेशन में अमेरिकी गुलामी के इतिहास को उजागर किया गया है। अमेरिकी गुलामी 1619 से 1865 तक चली थी, जिसमें अफ्रीकी लोगों को गुलाम बनाकर अमेरिका में लाया गया था।

गुलामों के साथ क्रूर और निर्दयी तरीके से व्यवहार किया जाता था और उन्हें अपने अधिकारों से वंचित किया जाता था। उक्त फिल्म में गुलामी के क्रूर और निर्दयी पक्षों को दिखाया गया है।
जहाँ आज के परिवेश के लोग महसूस कर के ही कांप जाते हैं। सिनेमैटोग्राफी का संयोजन बेहतरीन है। जब पीटर नमी वाले दलदल एरिया से भागता है और पैर में गोली लगती है तथा मगरमच्छ के साथ जीवन संघर्ष के दृश्य रूह कंपा देने वाले हैं। विल स्मिथ जो खुद ही ब्लैक हैं, पीटर को अपने किरदार में उतार लिया है। फिल्म 'एप्पल टीवी' पर प्रदर्शित होने कारण कम लोग देख पाएंगे। यदि यह फिल्म ओटीटी अन्य प्लेटफार्म जैसे, नेटफिलिक्श, एमेजान पर प्रदर्शित होती और हिन्दी भाषा में डब्बिंग कि गई होती तो उसके दर्शकों में इजाफा होता। बायोग्राफी फिल्म में मिर्च-मसाले नहीं होते हैं। इस मामले में उक्त फिल्म की पटकथा अल्प खेले को समेटती है। लेकिन फिर भी अपने परिवेश को ऐतिहासिक संदर्भों के साथ व्यक्त करने में, फिल्म सफल हुई है। 


'इमैनसिपेशन' शब्द का अर्थ और काले दासों का इतिहास-

इमैनसिपेशन का अर्थ है दासों की मुक्ति। यह एक ऐतिहासिक प्रक्रिया थी जिसमें दासों को उनकी स्वतंत्रता प्रदान की गई। अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान, राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन ने 1863 में 'इमैनसिपेशन प्रोक्लेमेशन' जारी किया, जिसमें सभी दासों को मुक्त घोषित किया गया। यह घोषणा अश्वेत अमेरिकी लोगों के लिए वरदान साबित हुआ। 

काले दासों का इतिहास बहुत पुराना और दर्दनाक है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बिंदु हैं-


1. ट्रांसाटलांटिक दास व्यापार : 15वीं से 19वीं शताब्दी तक, लगभग 12 मिलियन अफ़्रीकी लोगों को दास बनाकर अमेरिका लाया गया।
2. दास प्रणाली: दासों को उनके मालिकों की संपत्ति माना जाता था। उन्हें कोई अधिकार नहीं था, और उन्हें क्रूर तरीके से व्यवहार किया जाता था।
3. दास विद्रोह: कई दासों ने विद्रोह किया, जैसे कि नैट टर्नर का विद्रोह (1831) और जॉन ब्राउन का विद्रोह (1859)।
4. गृह युद्ध और इमैनसिपेशन: अमेरिकी गृह युद्ध के दौरान, राष्ट्रपति लिंकन ने इमैनसिपेशन प्रोक्लेमेशन जारी किया, जिससे दासों को मुक्ति मिली।
5. जिम क्रो कानून: इमैनसिपेशन के बाद, जिम क्रो कानून लागू हुए, जिन्होंने कालों के अधिकारों को सीमित किया।

वे व्यक्ति जिन्होंने अश्नावेतों के लिए काम किया-

1. फ्रेडरिक डगलस: एक पूर्व दास और अभियानकर्ता जिन्होंने दासता के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
2. हर्रिएट टूबमैन: एक पूर्व दास और अभियानकर्ता जिन्होंने अंडरग्राउंड रेलरोड के माध्यम से दासों की मुक्ति में मदद की। इस आधारित एक वेब सिरीज बनाई गई है। 
3. मार्टिन लूथर किंग जूनियर: एक नागरिक अधिकार नेता जिन्होंने कालों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। ये डा. अम्बेडकर की तरह खुद अश्वेत थे और उन्होंने नश्लवाद की बारीकियों को देखा था। इसलिए संघर्ष किया। 

1 टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने