नश्लवाद और परिवार की कहानी: मडबाउंड

 संतोष कुमार // मानव और उसका अस्तित्व तमाम तरह की बाधाओं से होकर गुजरा है। उसने अपने विकास की चरमावस्था में पीछे छूट गए लोगों को गुलाम, दास और अस्पृश्य तथा अछूत बनाया है और उनसे नफरत किया है। आज के लेख का केन्द्र बिन्दु अमेरिकी समाज व्यवस्था पर बनी फिल्म मडबाउंड (mudbound) है। यह फिल्म एक शक्तिशाली और भावनात्मक फिल्म है जो नस्लवाद और परिवार के मुद्दों पर केंद्रित है। डेबोरा ग्रानिक का निर्देशन अद्भुत है, और फिल्म के पात्रों का विकास बहुत अच्छा है। फिल्म नस्लवाद और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर भी महत्वपूर्ण चर्चा करती है। इसका ऐतिहासिक संदर्भ बहुत महत्वपूर्ण है। प्रत्येक पात्र अपनी कहानी कहता है। यह हिलेरी जार्डन के उपन्यास 'मडबाउंड' (2002) पर आधारित है। 

  

अंतिम दृश्य, जैकब अपने पिता को दफनाने के लिए जैमी से मदद मांगता हुआ

नस्लवाद का साया

मडबाउंड फिल्म एक ऐतिहासिक ड्रामा है। जिसकी पृष्ठभूमि 1940 के दशक में अमेरिका के दक्षिण में स्थित है, मिसीसिपी टाउन का है। जहाँ सिविल वार के समय दक्षिणी अमेरिकी लोग दासों को आजाद किये जाने के खिलाफ उत्तरी अमेरिका से लडे़ थे। अब्राहम लिंकन द्वारा 1863 में Emancipation prolection act (गुलाम काले दासों की मुक्ति का घोषणापत्र) लाने के बाद उनसे गोरों द्वारा भेदभाव किया जाता था। नस्लवाद रक्त शुद्धता पर आधारित हिप्पक्रेटिक सिद्धांतों पर आधारित होता है। रंग और नश्ल के आधार पर खुद को श्रेष्ठ और मालिक यानी भगवान के खास के रूप में विशेषाधिकार देता है। यही हाल एशिया में स्थित भारत में भी देखने को मिलती है। 1947 में भारत अंग्रेजों से आजाद हुआ और 1950 में संविधान लागू हुआ जिसमें जाति, नश्ल, लिंग और धर्म के आधार पर भेदभाव का खत्म किया गया। लेकिन व्यवहार में, कई रूपों में वह आज भी जिंदा है। इस नश्लवाद ने दलितों और आदिवासियों को अमानवीय पीड़ा दी है। जैसे उक्त फिल्म में अश्वेत परिवार के साथ घटित हुआ है। 


   मालिक और गुलाम पारिवारिक अंतर्संबंध तथा संघर्ष 


मडबाउंड फिल्म की कहानी दो परिवारों के बीच के संबंधों पर केंद्रित है। 'जैकब और हेनरी मैकएल्लन' दो भाई हैं, जो मिसिसिपी में एक फार्म पर रहते हैं। वे अपने पिता की मृत्यु के बाद फार्म का संचालन करते हैं।

दूसरी ओर, 'जेमी और रोनी जैकब्स' एक अफ़्रीकी-अमेरिकी परिवार हैं जो फार्म पर काम करते हैं। जेमी एक पूर्व सैनिक है जो द्वितीय विश्व युद्ध में लड़ा था। फिल्म में इन दोनों परिवारों के बीच के संबंधों का विकास दिखाया गया है, जिसमें नस्लवाद, वर्गभेद और युद्ध के प्रभाव का चित्रण किया गया है।

फिल्म की शुरुआत जैकब और हेनरी( श्वेत भाई) के कब्र खोदने से होती है। गढ्ढे में एक अश्वेत गुलाम का कंकाल मिलता है। जिसके सिर पर गोली लगी लगने के चिह्न हैं। जैकब कहता है यह जरूर भगोड़ा गुलाम होगा इसलिए इसके मालिक ने गोली मार दी होगी। इस कब्र में पैप्पी को नहीं दफनाना है। पैप्पी जैकब और हेनरी का पिता है। जो कि स्थानीय लोगों के साथ कट्टरवादी नश्ल के संगठन का सदस्य होता है। और काले गुलामों से बेतहाशा नफरत करता है। जेमी के परिवार का उत्पीड़न भी करता है। यहीं से कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है। जैकब इंजीनियरिंग किया है और उसका भाई आक्सफोर्ड से स्नातक करता है। अपने मंगेतर से उसे मिलाता है। जहाँ दोनों में आत्मीय संबंध बनते हैं। जैकब मिसिसिपी में एक 200 एकड़ का फार्म खरीदता है। और अपने परिवार के साथ उस फार्महाउस में दाखिल होता है। किचड़ से भरे खेत में उसकी पत्नी रहना नहीं चाहती क्योंकि उसकी दो छोटी-छोटी बेटियाँ हैं। लेकिन अपने पति के आगे उसकी नहीं चलती दकियानूसी ससुर के स्वभाव से हमेशा चीढीं रहती है। 


जैमी अपने परिवार के साथ 

जबकि जैकब का परिवार हाड़तोड मेहनत करता है और बटाईधार के हैसियत से वहां अपने परिवार के साथ रहता है। दोनों परिवार अपने जीवन संघर्ष, पीड़ा, दर्द और आत्मबल के साथ आगे बढ़ते हैं। जैकब का बड़ा बेटा रोन्जेल second world war में टैंक सार्जेंट होता है और लडाई के लिए आस्ट्रिया में तैनात है। वहीं जैकब का भाई हेनरी भी एयरफोर्स में पाइलट के पद पर तैनात होता है। लडाई के मैदान में उसके सारे साथी मारे जाते हैं। और वह भी अपने को मरा हुआ ही मान लेता है तभी एक काले पाइलटों के जहाज दुश्मन को मार गिराते हैं। और हेनरी कसम खाता है कि जीवन में अच्छा आदमी बनेगा। जैकब जेमी के पिता से हर समय गुलामों जैसा व्यवहार करता है। लेकिन वह कभी प्रतिकार नहीं करता है। किन्तु उसके अंदर कहीं उत्पीड़न की ज्वाला जल रही होती है। 

वह अपने अतीत और दास मुक्ति के दस्तावेज को छलावा मानता है। क्योंकि उसका प्रभाव अभी भी गोरों के ऊपर नहीं हुआ है। वे काले लोगों को रंग और नश्ल के आधार पर भेदभाव और उत्पीड़न करते हैं। जैमी के पुरखे और उनके अनुभव-


"मेरे एक चाचा, विली को रीकन्स्ट्रक्शन में एक जमीन का टुकड़ा मिला था। उनके पास उसके दस्तावेज थे। एक दिन चार गोरे घोडों पर बैठकर आए, पिस्तौल तानी, कहा मार डालेंगे। मेरे चाचा के दस्तावेज को चालीस टुकड़े कर के हवा में उड़ा दिए। इसलिए मैं पूछता हूँ, दस्तावेज किस काम के? इस खच्चर ने मुझे साथी पट्टेदार बनाया, साथी किसान नहीं। और अपनी जमीन खरीदने का एक सपना भी दिया। शायद समस्या यहीं से शुरू हुई।" 

यह सच है चाहे यूरोप के काले गुलाम हों या भारत के अछूत उनको सपने देखने से ही वर्चस्ववादियों की व्यवस्था में दरार पड़ते हैं। जैकब अपने ट्रक से सामान उतारने के लिए जैमी को बुलाता है जहाँ उसका सामना जैकब के पिता से होती है। एक किताब को रखते हुए उसका शीर्षक पढता है 'अ टेल आफ टू सिटीज' इस आश्चर्य प्रकट करते हुए बुढ़ा पैप्पी कहता है - नीग्रो भी पढ़ते हैं! इस पर मिस जैकब खुश होती है और पूछती है कैसे सीखा? तब वह जवाब देता है मेरा बेटा देश के लिए लड़ रहा है उसने सिखाया है, वह टैंक कमांडर है। उनके बीच के संवाद से गोरे नश्ल की डिंग परिलक्षित होती है - 

पैप्पी-'मतलब सुरंगे खोदेगा और आलू छीलेगा? 

जैमी- नहीं, जनाब वह टैंक कमांडर है। 

पैप्पी- हो ही नहीं सकता कि फौज लाखों डालर का टैंक एक हब्शी के हवाले करेंगे। लड़ाई तो मेरा बेटा लड़ रहा है। वह बाॅम्बर जहाज उड़ा रहा है। 

जैमी - मेरा बेटा सार्जेंट है। 761वीं बटालियन में। उन्हें ब्लैक पैंथर बुलाते हैं। 

पैप्पी- हे ऐ, लड़के पता है ऐसे हब्शी को क्या बुलाते हैं?... रकून! (हसते हुए) 


यही सोच सामंती होती है जिसे अंग्रेजी में हिप्पोक्रेट कहते हैं। जैमी स्वभाव से नेकदिल इंसान होता है। इसलिए जैकब और उसके पिता के रूखे व्यवहार के बावजूद उनकी मदद करता है। 

जैकब का अनुभव और पुरखों की यादें - 

एक बार मेरे दादा जी ने मुझसे बाहर जाकर मुट्ठी भर मिट्टी लाने को कहा। 

और उन्होंने पूछा "हांथ में क्या है, बेटा?" मैंने कहा, "मिट्टी।" 

सही कहा वह मुझे दो।" तो मैंने उन्हें दे दी, उन्होंने कहा, अब मेरे हाथ में क्या है? मिट्टी है। 

नहीं, बेटा, मेरे पास जमीन है। पता है क्यों? 

क्योंकि मैं इसका मालिक हूँ। क्योंकि यह मेरी है। 

और एक दिन तुम्हारी होगी। 


जैमी के पुरखों के पास जमीन थी, दस्तावेज थे। लेकिन बर्बर गोरों ने उसको हथिया लिया। हड़प की संस्कृति और दास के दस्तावेज यही से शुरू हुए। जैकब और जैमी के आत्मबोध और विभाजन की सूक्ष्म रेखा को "जार्डन" ने जितनी सिद्दत से अपने उपन्यास में दर्ज किया है, उतनी ही जीवंतता के साथ "डेर रीस" ने फिल्माया है। 

जैमी ईश्वर आराधना के लिए अपने अश्वेत साथियों के साथ एक अलग चर्च में संबोधित करता है। क्योंकि श्वेतों के चर्च में कालों का प्रवेश वर्जित था। इसके लिए मार्टिन लूथर किंग ने संघर्ष किया। जैमी ईश्वर आराधना के द्वारा आजादी का गीत गाता है - "

"मेरे पता के घर में बहुत से रहने के स्थान हैं।

 मैं यह जानता हूं। 

यदि न होते, तो मैं तुमसे यह कह देता। 

मैं तुम्हारे लिए जगह तैयार करने जाता हूँ। 

जहाँ मैं रहूँ, वहाँ तुम भी रहो। 

इससे मुझे सकून मिलता है। 

यह जानकर सकून मिलता है कि एक दिन आएगा

जब मेरा दिन पिछले दिन से आसान होगा। 

एक सुबह... 

मेरे बच्चे इस जगह अपनी आंखे नहीं खोलेंगे। 

वे नये आसमान के तले अपनी आंखें खोलेंगे। 

एक सुबह, हम अपने गले में पड़ा यह शिकंजा तोड़ देंगे

और अपने पैरों में पड़ी यह जंजीर तोड़ देंगे। 

एक सुबह... और 

मैं भविष्य की बात नहीं कर रहा। 

मैं वर्तमान की बात कर रहा हूँ। 

One morning soon we have freedom."


जैमी भविष्य का गीत गाकर ईश्वर आराधना तक बात नहीं कर रहा है। बल्कि गुलामी से ऊपजी अमानवीय व्यवस्था को तोड़ने की बात कर रहा है। यही" फ्रीडम आफ स्पीच" है जो भारत में दलितों के लिए उनके पूरखे संत रैदास और कबीर गाये थे। 

          "इक सुख है स्वराज में दुसर मरघट गांव" 

जैमी अपने सार्जेट बेटा रोन्जेल के साथ 

युद्ध के बाद हेनरी और रोन्जेल की घर वापसी - एक ओर जहां हेनरी की वापसी पर उसका स्वागत होता है और स्थानीय टाउन के लोग उसे सम्मानित करते हैं वहीं रोन्जेल को अश्वेत, निग्रो, हब्शी इत्यादि कह कर उसको अपमानित करते हैं। रोन्जेल यह देखकर दुख व्यक्त करता है कि यहाँ कुछ नहीं बदला। एक गोरी महिला के दुकान से अपने परिवार के लिए मिठाइयाँ खरीदता है तो वहां जैकब का पिता कुछ मुस्टंडों के साथ आता है और उसे अपमानित करने लगता है। पुरानी व्यवस्था के अनुसार काले दासों को पीछे के दरवाजे से जाना चाहिए। इस व्यवस्था का वे पालन करना चाहते हैं। इस पर गर्म खून रोंजेल विरोध करता है - 


"गोरा पैप्पी- तुम भूल गये हो कि तुम के कहाँ हो। 

रोन्जेल - नहीं, जनाब मैं कुछ नहीं भूला हूँ। 

पैप्पी- लगता तो यही है लड़के। 

पता नहीं वहाँ तुम्हें कितनी आजादी मिली, पर अब तुम मिसिसिपी में हो, हब्शी। 

 पिछला दरवाजा इस्तेमाल करो। 

रोन्जेल विदेश में कोई हमसे पिछला दरवाजा इस्तेमाल करने को नहीं कहता था। 

जनरल पैटन ने हमें शत्रु सीमा पर भेजा। 

जी, जनाब। पता है हमने वहाँ क्या किया? 

हमने हिटलर और उन जर्मनों की बैंड बजा दी। 

और आप यहाँ सुरक्षित घर में बैठे हैं।"


इस प्रतिक्रिया से आहत जैकब जैमी के घर आता है और अपने पिता से माफी मांगने के लिए कहता है। जैमी अपने बेटे को समझता है हम इनसे नहीं जीत सकते। लेकिन रोन्जेल अंदर-अंदर ही उबल रहा होता है। और अपने घर से उपेक्षित और अपमानित जैकब के भाई हेनरी से दोस्ती करता है। हेनरी ब्लैक द्वारा युद्ध के मैदान में जान बचाने की वजह से उदारवादी हो गया होता है। लेकिन उसकी औकात परिवार और समाज में कोई नहीं होती। नशेड़ी हेनरी रोन्जेल से अच्छा व्यवहार करता है और दोनों में जमने लगती है। दोनों एक दुसरे के युद्ध अनुभव और वेश्यागमन की बात करते हैं। रोन्जेल कहता है, नहीं मैंने एक गोरी जर्मन लड़की से प्रेम किया था। मैं उससे दूर नहीं जाना चाहता था। इसलिए युद्ध न खत्म हो यह भी चाहता था। अब उससे एक बच्चा है और वह जर्मनी आने के लिए कह रही है। एक फोटो दिखाता है जिसमें रोन्जेल की प्रेमिका उसके काले बेटे के साथ है। रोन्जेल वहां से जल्दी निकल जाना चाहता है, जिसका अनुभव उसकी मां करती है। लेकिन जैमी के अस्वस्थ (जैकब के घर काम करने से पैर टूट) के कारण खेत में बुआई तक उसे रूकने के लिए कहता है। प्रत्येक पात्र की अपनी कहानी है जो सीधे फिल्म के प्लाट को जोड़े रखती है। 

जैकब जहाँ अपनी पत्नी से रूखा व्यवहार करता है वहीं हेनरी अपनी भाभी की जरूरतों का ख्याल रखता है। इससे दोनों में नजदीकियां आती है। जैकब उसकी आवारागर्दी और बेपरवाह से तंग आकर घर छोड़ देने को कहता है। उसका पिता भी बात-बात पर उसे गाली देता है, क्योंकि उसको जैकब की पत्नी से उसके अवैध संबंध का पता होता है। उसे इस बात से बेहद नफरत है कि काले रोन्जेल के साथ घुमता है। वह गोरे समाज के अनुकूल आचरण नहीं करता है। जैकब की पत्नी के पेट में बच्चा नष्ट होने और उसकी बेटियों की बिमारी में रोन्जेल की मां दाई का काम करती है। इस दृश्य से ऐसा लगता है कि भारत के किसी गाँव में ठाकुर और चमार जाति के परिवार की कहानी है। जहाँ एक गुलाम, मजदूर और निम्न है वहीं एक मालिक, हजूर और श्रेष्ठ। पठकथा और परिवेश को बहुत ही बारीकी के साथ बुना गया है। 


हिंसा और नश्लवाद का दंश

आजीवक दार्शनिक डा. धर्मवीर उदारवाद के संबंध में कहते हैं कि वह दलित हितैषी और स्त्री हितैषी होने की बात करता है लेकिन वास्तव में उसके पास कुछ नहीं होता वह शक्ति हिन होता है। समाज और परिवार को अनछेडे ही पलायन कर जाता है। वह बुद्ध, महावीर का सुभीते का रास्ता तो चुन सकता है लेकिन ईसा और मुहम्मद के रास्ते पर चलना उसके बस की बात नहीं है। यह उक्त कथन इस फिल्म में सटीक बैठती है और डा. धर्मवीर के चिन्तन की वैश्विक प्रासंगिकता को भी बनाती है। 

एक दिन हेनरी को रोन्जेल के साथ ट्रक में उसका बाप पैप्पी देख लेता, हालांकि की वह भरसक उसे छुपाने की कोशिश करता है। और रोन्जेल को उसके लिए दंडित करने के लिए योजना बनता है। हेनरी से पूछता है - 


"ट्रक में तुम्हारे साथ कौन था? जो ट्रक तुम चला रहे थे? 

रोन्जेल जैक्सन। आपको क्या? 

बताओगे कि वह हब्शी तुम्हारे साथ ट्रक में आगे क्यों बैठा था? 

जैसे जिगरी दोस्त हो! 

जहाँ में कहूँगा वहाँ बैठ सकता है। और कुछ? 

एक थप्पड़ के साथ... साले कमीने। और कई थप्पड़ 

तुम्हारी कोई औकात नहीं है, जानते हो न? 

हां, जानता हूँ। 

तुम बस एक शराबी हो!"


ट्रक की चाभी लेकर पैप्पी चला जाता है, जहाँ सीट के पास रोन्जेल की प्रेमिका और बेटे की फोटो मिलती है। इससे वह गुस्से में आग बबूला हो जाता है। उसे लगता है कि काले हब्शी ने गोरी लड़की के साथ सेक्स कर के रक्त यानी नश्ल को अशुद्ध किया है। इस लिए स्थानीय चर्च से कट्टरपंथी गोरों को साथ लेकर रोन्जेल को पकड़ लेता है और उसकी पिटाई कर के चर्च में सूली पर चढ़ाते हैं। जहाँ हेनरी को भी पकड़ कर लाते हैं। उसका बाप हेनरी से कहता है - उस काले हब्शी के लिए अपने खून से गद्दारी करता है? लेकिन हेनरी की एक नहीं चलती है। सुनियोजित भीड़ उसको दंड देने के लिए उद्धत है कि एक काले ने उनकी नश्ल को अशुद्ध किया है। इसलिए हेनरी से दंड के चुनाव के लिए कहते हैं - आंख, जीभ या लिंग यानी पेनिस काटने की। क्या दंड देते हैं यह नहीं दिखाई दिखाय गया है लेकिन अधमरा रोन्जेल उसके परिवार और जाति के लोगों को मिलता है। जैमी का परिवार इस उत्पीडन और दमन से अपनी जमीन छोड़कर का माइग्रेट करते हैं। उसी रात में एक घटना यह घटित होती है कि हेनरी अपने बाप का कत्ल कर देता है। क्योंकि उस रात जैकब घर पर नहीं होता है। उसकी पत्नी इस कत्ल को प्राकृतिक मृत्यु में बदल देती है, जैकब के सामने। इस हत्या की वजह केवल रोन्जेल को दंडित करने से नहीं जुड़ी है। क्योंकि पैप्पी हेनरी और उसकी भाभी से अवैध संबंधो के बारे जानता है और कई बार टोक चुका होता है। डर इस बात का भी है कि वह उसके बड़े भाई जैकब से कह देगा। अवैध संबंधो हत्याओं का सिलसिला पूरी दुनिया में चलता है। जिसकी वास्तविक जड़ों की खोज और समाधान के बारे में एकलौते आधिकारिक विद्वान डा. धर्मवीर थे। वे इसे "जारकर्म, जारसत्ता" के नाम से संबोधित करते थे। अपनी पुस्तक "कामसूत्र की संताने" और "मेरी पत्नी और भेड़िया" में विस्तार से लिखे हैं। 

यहीं कहानी शुरू के दृश्य के साथ जुड़ती है। हेनरी अपने बाप को दफनाने से इंकार कर देता है और चला जाता है। जैमी अपने परिवार के साथ फार्म छोड़ कर जा रहा होता है। तब जैकब उससे मदद मांगता है। जैकब उसके बाप का अंतिम संस्कार करता है। 

अंत में सफल और सुखद दृश्य दिखाया गया है कि जैमी परिवार शहर में अच्छे परिधान और बड़े घर में है। रोन्जेल अपनी प्रेमिका के पास जर्मनी चला जाता है। 

युद्ध का प्रभाव - 

युद्ध का प्रभाव सब पर पड़ता है। हेनरी को जहाँ, अवसाद, कुंठा और कायरता हावी होती है, वहीं जैमी के बेटे रोन्जेल में स्वाभीमान, वीरता और उत्साह का भाव आता है। युद्ध की विभीषिका दोनों तरफ नुकसान पहुंचाती है। यह बहुत ही अच्छी तरह से फिल्माया गया है। हेनरी अपने दोस्तों को खोने से गमजदा होता है तो रोन्जेल अपनी जर्मन गर्लफ्रेंड से जुदा होने से। परिवार, युद्ध और नश्लवाद के मुद्दे और प्रश्नों को उठाती यह मूवी दर्शकों को बांधकर रखती है। यह ठहराव सोचने पर विवश करते दृश्य और डायलाग कहीं से भी काल्पनिक नहीं लगते। ऐसा लगता है कि एशिया और यूरोप की दास व्यवस्था, उत्पीड़न और भेदभाव के ज्वलंत प्रश्न आज के हों! 


 निर्देशन की अद्भुत कला- डेबोरा ग्रानिक के निर्देशन की जितनी प्रशंसा की जाए कम है। उन्होंने पात्र चयन पटकथा की पृष्ठभूमि के प्लाट को बखूबी तैयार किया है। अमेरिकी इतिहास के 1940 के परिवेश और द्वितीय विश्व युद्ध के दृश्यांकन का साम्य मडबाउंड फिल्म के सफलता को दर्शाते हैं। चार आस्कर के लिए नामांकित यह फिल्म बेहतरीन कला का नमूना है। 


सिनेमैटोग्राफी की खूबसूरती - 

हिलेरी जॉर्डन मडबाउंड 84 के नाम के उपन्यास पर आधारित फिल्म को चार अकादमी पुरस्कारों के लिए नामांकित किया गया था। सहायक अभिनेत्री (मैरी जे. ब्लिज), रूपांतरित पटकथा (वर्जिल विलियम्स और डी रीस), मूल गीत ("माइटी रिवर"), और छायांकन (रेचल मॉरिसन) ने किया है। फिल्म की फोटोग्राफी निदेशक मॉरिसन सिनेमैटोग्राफी के लिए ऑस्कर पुरस्कार पाने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रच दिया है। यह फिल्म महिलाओं द्वारा निर्मित है। क्योंकि मडबाउंड फिल्म का निर्देशन, शूटिंग, संपादन, स्कोरिंग और सह-लेखन महिलाओं द्वारा किया गया है, यह अच्छी तरह से योग्य मान्यता को और भी अधिक बढ़ाता है।

एक साक्षात्कार में हिलेरी जार्डन ने कहा - 

"जॉर्डन ने डेली शॉट के लेखकों से कहा कि वह इन नामांकनों से रोमांचित हैं। "फिल्म निर्माताओं, कलाकारों और क्रू ने इस फिल्म में अपना दिल और आत्मा लगा दी है, और मैं परिणाम पर इससे अधिक गर्व नहीं कर सकती।" 


मडबाउंड (2008) जॉर्डन का पहला उपन्यास था; फिल्म रूपांतरण का निर्देशन डी रीस ने किया था और नवंबर 2017 में नेटफ्लिक्स द्वारा रिलीज़ किया गया था। (जॉर्डन, जिन्होंने उपन्यासकार बनने से पहले एक विज्ञापन कॉपीराइटर के रूप में 15 साल का करियर बनाया था, वे व्हेन शी वोक (2011) और एक डिजिटल लंबी लघु-कथा, आफ्टरमर्थ की लेखिका भी हैं। जेंडर, वीमेंस और रेस बेस डिस्क्रीमिनेसन के खिलाफ लिखती रही हैं। 


संगीत का जादू - इस फिल्म में संगीत का अद्भुत संयोजन है। दृश्य, घटना और प्रकृति के अनुकुलन में संगीत का महत्व होता है। वेस्टर्न शैली के संगीत एशियन शैली से अलग होते हैं। लेकिन अमेरिकी गृह युद्ध से ऊपजी अश्वेतों की चेतना ने संगीत, साहित्य और सिनेमा में अपना अलग और मौलिक मुकाम हासिल किया है। इसी का प्रतिफल है कि आज अमेरिका विश्वशक्ती के रूप में दुनिया को लीड कर रहा है। पहले, इटली, ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी का दबदबा था। लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध ने दुनिया का रूख बदल दिया। इसने संगीत के क्लासिकल धुन की जगह पीड़ा, दर्द, उत्पीड़न, जुगुप्सा, उदासीनता जैसी संगीत शैलियों के लिए जगह दिया। आजादी के गीत मनोरंजन के गीत से ताकतवर होते हैं। इस फिल्म में उस आजादी के संगीत को 'वन मार्निंग सून' धुन के साथ बेहतरीन ढंग से संयोजित किया है।  

निष्कर्ष - 

1946 में सेट की गई यह कहानी दो दक्षिणी कृषक परिवारों, एक श्वेत और दूसरा अश्वेत, के माध्यम से अमेरिकियों के कट्टरता के साथ चल रहे संघर्ष को दर्शाती है। शहर में जन्मी और पली-बढ़ी लौरा मैकएलन, जो श्वेत है, अपने बच्चों को एक ऐसी जगह पर पाल रही है जो उसे अजनबी और ख़तरनाक लगती है: उसके पति हेनरी का मिसिसिपी डेल्टा फ़ार्म। उसके नफ़रत करने वाले ससुर, पैपी और उसके देवर, जेमी मैकएलन भी उनके साथ हो लेते हैं। जेमी सुंदर और आकर्षक है, लेकिन युद्ध की अपनी यादों से भी परेशान है।

मैकएलन फार्म पर रहने वाले अश्वेत बटाईदारों के सबसे बड़े बेटे, रोंसेल जैक्सन भी युद्ध से घर लौट आए हैं। लेकिन अपने देश की बहादुरी से रक्षा करने के बावजूद, उन्हें जिम क्रो साउथ में अभी भी एक हीन व्यक्ति माना जाता है। कहानी इन दो भाइयों के बीच की अविश्वसनीय दोस्ती पर केंद्रित है।

जॉर्डन ने फिल्म रिलीज होने के कुछ समय बाद डेली शॉट के लेखकों से कहा, "यह किताब मेरे लिए बहुत निजी है।" "यह मेरे दादा-दादी के जीवन पर आधारित है; उनके पास अर्कांसस डेल्टा में एक खेत था जिसे वास्तव में मडबाउंड कहा जाता था...और मैं उस खेत के बारे में सुनते हुए बड़ा हुआ हूँ। हालाँकि, कहानी और पात्र पूरी तरह से काल्पनिक हैं।" 

ऐतिहासिक संदर्भ - 

फिल्म का ऐतिहासिक संदर्भ 1940 के दशक का अमेरिका है, जब द्वितीय विश्व युद्ध चल रहा था। उस समय अमेरिका में नस्लवाद और वर्गभेद की समस्या बहुत गंभीर थी।

फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे अफ़्रीकी-अमेरिकी लोगों को समाज में कम दर्जा दिया जाता था और उन्हें अपने अधिकारों से वंचित किया जाता था।

पात्रों का विकास-

फिल्म के पात्रों का विकास बहुत अच्छा है। जैकब और हेनरी मैकएल्लन दोनों भाई अपने पिता की मृत्यु के बाद फार्म का संचालन करते हैं, लेकिन उनके बीच के संबंधों में तनाव है।

जेमी जैकब्स एक पूर्व सैनिक है जो युद्ध में लड़ा था। वह अपने अनुभवों के कारण मानसिक रूप से पीड़ित है।

फिल्म के मुद्दे-

फिल्म में कई महत्वपूर्ण मुद्दों का चित्रण किया गया है, जिनमें से कुछ हैं-

1. नस्लवाद

2. वर्गभेद

3. युद्ध के प्रभाव

4. परिवार के संबंध

5. समाज में बदलाव


फिल्म की तकनीकी जानकारी - 


1. निर्देशक: डेबोरा ग्रानिक

2. लेखक: हिलरी जॉर्डन (उपन्यास), विर्जीनिया कैडोर (स्क्रीनप्ले)

3. निर्माता: जेनिफर मॉरिस, सेलिया कोस्टास

4. सिनेमैटोग्राफी: राचेल मॉरिसन

5. संगीत: टी. बोन बर्नेट



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